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Showing posts from November, 2020

मां काली से जुड़ा है कृष्ण की मूर्ति का रहस्य

  मां काली से जुड़ा है कृष्ण की खंडित मूर्ति का रहस्य 1/20 1 मां काली हिन्दू मान्यताओं में 33 करोड़ देवी-देवताओं का जिक्र किया गया है, जिनमें से एक हैं मां काली। मां काली के चमत्कारों से जुड़े अनेक किस्से हमारे पौराणिक इतिहास में विद्यमान हैं। इन्हीं किस्सों या कहानियों में से एक है मां काली के दक्षिणेश्वर मंदिर का निर्माण। 2/20 2 दक्षिणेश्वर काली मंदिर दक्षिणेश्वर काली मंदिर का निर्माण एक शूद्र जमींदार की विधवा पत्नी रासमणी ने करवाया था। जिस दौर में इस मंदिर का निर्माण हुआ उस काल में संपूर्ण बंगाल में कुलीन प्रथा जोरों पर थी। ऐसे में एक शूद्र स्त्री द्वारा इस मंदिर का निर्माण और साथ ही इस मंदिर को समाज द्वारा स्वीकार करने के पीछे एक अद्भुत कथा छिपी हुई है। 3/20 3 रासमणी बंगाल के एक जमींदार राजचंद्र की पत्नी रासमणी को एक रात स्स्वप्न में स्वयं मां काली ने आकर दर्शन दिए। स्वयं काली ने उन्हें एक ऐसे स्थान का परिचय करवाया जहां उस मंदिर का निर्माण होना था। 4/20 4 मंदिर का निर्माण धन की कोई कमी ना होने की वजह से रासमणी ने मां काली को समर्पित इस मंदिर का निर्माण करवाने की ठान ली। सन 1847 में मं

कालका मंदिर के स्थल पर प्रकट हुई थीं मां भगवती 'महाकाली'

  नई दिल्ली : अरावली पर्वत श्रृंखला के सूर्यकूट पर्वत पर विराजमान कालकाजी मंदिर के नाम से विख्यात 'कालिका मंदिर' देश के प्राचीनतम सिद्धपीठों में से एक है। जहां नवरात्र में हजारों लोग माता का दर्शन करने पहुंचते हैं। इस पीठ का अस्तित्व अनादि काल से है। माना जाता है कि हर काल में इसका स्वरूप बदला। मान्यता है कि इसी जगह आद्यशक्ति माता भगवती 'महाकाली' के रूप में प्रकट हुई और असुरों का संहार किया। तब से यह मनोकामना सिद्धपीठ के रूप में विख्यात है। मौजूदा मंदिर बाबा बालक नाथ ने स्थापित किया। उनके कहने पर मुगल सम्राज्य के कल्पित सरदार अकबर शाह ने इसका जीर्णोद्धार कराया। मंदिर के महंत सुरेंद्रनाथ अवधूत ने बताया कि असुरों द्वारा सताए जाने पर देवताओं ने इसी जगह शिवा (शक्ति) की अराधना की। देवताओं के वरदान मांगने पर मां पार्वती ने कौशिकी देवी को प्रकट किया। जिन्होंने अनेक असुरों का संहार किया लेकिन रक्तबीज को नहीं मार सकीं। तब पार्वती ने अपनी भृकुटी से महाकाली को प्रकट किया। जिन्होंने रक्तबीज का संहार किया। महाकाली का रूप देखकर सभी भयभीत हो गए। देवताओं ने काली की स्तुति की तो मां भगव

काला जादू क्या होता है, कैसे बचे इससे, जानिए...

  काला जादू, टोने, टोटके या अन्य किसी के द्वारा किया कराया जैसी बातें भी समाज में प्रचलित है। हालांकि इनकी सचाई के बारे में कोई नहीं जानता। कुछ लोग मानते हैं कि काला जादू होता है और कुछ लोग इसे वहम मानते हैं। अब यह तो शोध का विषय हो सकता है। माना जाता है कि काला जादू उसे कहते हैं जिसके माध्यम से व्यक्ति अपने स्वार्थ को साधने का प्रयास करता है या किसी को नुकसान पहुंचाना के काम करता है। बंगाल और असम को काला जादू का गढ़ माना जाता रहा है। काले जादू के माध्यम से किसी को बकरी बनाकर कैद कर लिया जाता है या फिर किसी को वश में कर उससे मनचाहा कार्य कराया जा सकता है। काले जादू के माध्यम से किसी को किसी भी प्रकार के भ्रम में डाला जा सकता है और किसी को मारा भी जा सकता है। METRO PLUS मर्दो वाले समस्याओं से थक गए? सभी पुरुष इसका उपयोग करते हैं और जानें → माना जाता है कि काला जादू शरीर में नकारात्‍मक ऊर्जा उत्‍पन्‍न करता है। ये शक्तियां बाहरी व्‍यक्ति के द्वारा भेजी जाती हैं जो उस व्‍यक्ति पर आतंरिक प्रभाव डालती है। दरअसल काला जादू मनोवैज्ञानिक ढंग से कार्य करता है। काला जादू करने वाले आपके अचेतन मन को

इन संकेतों से पता चलता है की काला जादू हुआ है या नहीं

  सूर्यग्रहण के दिन होता है काला जादू         अक्सर लोग काला जादू और वूडू का नाम सुनते ही कांपना शुर हो जाते हैं। दरअसल काली शक्तियों का प्रतीक काले जादू को मानते हैं। सच तो यह है कि काला जादू नाम का कुछ नहीं होता है। बता दें कि काला जादू एक तरह का मैजिक ही होता है।  व्यक्तिगत लाभ और दूसरों को नुकसान पहुंचाने के लिय मैजिक का इस्तेमाल लोग करते हैं जिसे काला जादू बोल दिया गया। मूठकर्णी विद्या, वशीकरण, स्तंभन, मारण, भूत-प्रेत टोने और टोटके यह सब काले जादू के अंदर आते हैं। तांत्रिक विद्या के नाम से भी काले जादू को जाना जाता है। इसका विस्तार भारत के बौद्ध धर्म के ब्रजयान समुदाय में माना गया है।  ज्योतिषीय योग काले जादू का  व्यक्ति की कुंडली में ग्रह दोष कुछ होता है तभी उसके ऊपर काले जादू का असर होता है। अगर सूर्य, चंद्र, शनि और मंगल विशेष भावों से कुंडली में राहु-केतु से पीड़ित होते हैं तभी उन लोगों पर बुरी शक्तियों को असर होता है। ज्योतिष शास्त्र में कहा गया है कि काले जादू का असर सूर्य ग्रहण वाले दिन बहुत होता है। दरअसल राशियों की स्थिति में बहुत ज्यादा बदलाव इस दिन आते हैं।  इस्तेमाल होत

उज्‍जैन महाकाल मंदिर: क्या है भस्‍म आरती का रहस्‍य

  महाकाल की 5 आरतियां होती हैं, जिसमें सबसे खास मानी जाती है भस्‍म आरती। भस्‍म आरती यहां भोर में 4 बजे होती है। आइए जानते हैं इस आरती से जुड़ी खास बातें. महिलाओं के लिए हैं विशेष नियम प्रतिदिन होने वाली इस आरती में महिलाओं के लिए कुछ विशेष नियम हैं। महिलाओं को इसमें शामिल होने के लिए साड़ी पहनना जरूरी है। जिस वक्‍त शिवलिंग पर भस्‍म चढ़ती है उस वक्‍त महिलाओं को घूंघट करने को कहा जाता है। मान्‍यता है कि उस वक्‍त भगवान शिव निराकार स्‍वरूप में होते हैं। इस स्‍वरूप के दर्शन करने की अनुमति महिलाओं को नहीं होती। ऐसे शुरू हुई भस्‍म आरती की परंपरा पौराण‍िक कथाओं में बताया गया है कि प्राचीन काल में दूषण नाम के एक राक्षस की वजह से पूरी उज्‍जैन नगरी में हाहाकार मचा था। नगरवासियों को इस राक्षस से मुक्ति दिलाने के लिए भगवान शिव ने उसका वध कर दिया। फिर गांव वाले भोले बाबा से यहीं बस जाने का आग्रह करने लगे। तब से भगवान शिव महाकाल के रूप में वहां बस गए। दूषण की राख से किया श्रृंगार शिव ने दूषण को भस्‍म किया और फिर उसकी राख से अपना श्रृंगार किया। इसी वजह से इस मंदिर का नाम महाकालेश्‍वर रख दिया गया और शि

The Best Places to Visit in Vrindavan

  1. Govind Deo Temple Govind Deo Temple The two things to admire about the Govind Deo Temple are the unique structure and the silver and marble altar. Built on a raised plinth, this temple was the most expensive temple in India at one point of time. It was constructed by King Man Singh of Amer. The ceiling of the temple is decorated with the sculpture of a lotus. To get to the temple you need to pass through stunning flights of stairs. The best time to visit is during the festival of Holi. 2. Shahji Temple Shahji Temple The Shahji Temple has beautiful coloured paintings on the ceilings of the temple and statues depicting Raasleela inside the prayer room. The exteriors of the temple are built in western modern-classical style. The twisted marble pillars are great to see as well. 3. Seva Kunj and Nidhuban Seva Kunj  (source) The temple is historically known as the place where Lord Krishna came to meet Radha. The Ras Leela is performed here regularly and it is a great feeling to experien